दुकानें सज गयीं आओ देखो लग गया बाज़ार
चुनावी मेला आया है लेकर वादों की बौछार
मायूस दिलों को फिर उम्मीदें बाटी जाएंगी…
बिकेंगे फिर वही सपनें हुए न अब तक जो साकार
टी०वी०, रेडियो, इंटरनेट या कोई अखबार
हर जगह अब दिखेंगे बस इनके ही इश्तेहार
नये-नये ऑफर नयी स्कीमें परोसी जाएंगी…
नये-नये तरीकों से करेंगी पार्टियाँ प्रचार
कोई रिक्शेवालों, मछुआरों से रिश्ते जोड़ रहा इस बार
कोई किसान तो कोई चाय वाले का निभा रहा किरदार
कि, आम आदमी दिखने की तो सब में मची है होड़…
पर असल में आम आदमी बनने को कोई नेता नहीं तैयार
बड़े-बड़े बंगले हैं इनके महँगी-महंगी कार
हवाई-जहाज में उड़े कभी, कभी हेलीकाप्टर में सवार
देश की दौलत लूट-लूट कर इन भ्रष्ट नेताओं ने…
विदेशी बैंकों में अपने भर लिये भण्डार
निज-स्वार्थ के आगे मुद्दे अब हो रहे लाचार
राजनीती बन गयी है मानो कोई कारोबार
हैँ दल-बदलू नेता कहीं तो मोर्चा-बदलू दल…
आदर्शों से नहीं किसी का रहा है सरोकार
न मर्यादा ही बची किसी में न बचा है शिष्टाचार
नित-दिन ओछी राजनीती से लोकतंत्र हो रहा शर्मसार
कि, खुद को यहाँ पे गाँधीवादी यूँ तो हर नेता कहता है…
पर गाँधी के आदर्श किसी को अब नहीं रहे स्वीकार
अब देखें ज़रा ये राजनीती किस हद को करेगी पार
किस तरह फिर इक-दूजे पर नेता करेंगे वार
कैसे-कैसे रंग सियासत फिर दिखलायेगी…
कैसे पल-पल बदलेंगे यहाँ राजनितिक आसार
खाद्य-सुरक्षा, आर०टी०आई, मनरेगा, आधार
जहाँ इनको ढाल बना रही है मौजूदा सरकार
वहीँ कोलगेट, सी०डब्लू०जी० और २-जी जैसे बम
चुनावी जंग में फोड़ने को विपक्ष खड़ा तैयार
मोदी, राहुल, माया, मुलायम और नितीश कुमार
और न जाने कितने हैं यहाँ पी०एम० उम्मीदवार
जीत के दावे भरते यूँ तो दिख रहे हैं सब…
पर देखें मिलती जीत है किसको, किसे मिलेगी हार
गुंडा-गर्दी, रेप और दंगे और ये बढ़ता भ्रष्टाचार
इस वक़्त देश को बदलावों की है बड़ी दरकार
मिलकर बदलें हम सब आओ इस मुल्क का मुस्तक़बिल…
आओ देकर वोट बनें हम भी इस बदलाव में भागीदार :)__vjay